एक बड़े रणनीतिक कदम में, भारत ने आधिकारिक तौर पर पुष्टि की है कि पाकिस्तान के एथलीटों को अहमदाबाद में 2030 कॉमनवेल्थ गेम्स (CWG) में भाग लेने की अनुमति दी जाएगी। 29 अक्टूबर, 2025 को रिपोर्ट किया गया यह निर्णय, चल रहे राजनीतिक तनाव के बावजूद आया है, जो भारत की बड़ी महत्वाकांक्षा को उजागर करता है: 2036 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के लिए एक सफल बोली।
Key Takeaways
- पाकिस्तान को अहमदाबाद और गांधीनगर में 2030 CWG में प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति दी जाएगी।
- इसका मुख्य कारण 2036 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक की मेजबानी के लिए भारत की महत्वपूर्ण बोली को सुरक्षित करना है।
- भारत का लक्ष्य अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) से प्रतिबंधों से बचना है, जिसमें इंडोनेशिया पर हालिया दंड एक चेतावनी के रूप में काम कर रहा है।
- इसके बावजूद, पाकिस्तान के साथ कोई द्विपक्षीय खेल संबंध न रखने की नीति दृढ़ता से लागू है।
बड़ा फैसला: प्रतिद्वंद्विता से ऊपर ओलंपिक का सपना
देखिए, यह सिर्फ कॉमनवेल्थ गेम्स के बारे में नहीं है। यह दुनिया को एक संदेश भेजने के बारे में है। भारतीय खेल मंत्रालय के अधिकारियों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह निर्णय अंतर्राष्ट्रीय खेल नियमों का पालन करने पर आधारित है। क्यों? क्योंकि आप ओलंपिक की मेजबानी का सपना नहीं देख सकते अगर आपको एक ऐसे देश के रूप में देखा जाता है जो अपने प्रतिस्पर्धियों को चुन-चुनकर बुलाता है।
सरकार एक लंबी रणनीति पर चल रही है। अहमदाबाद और गांधीनगर में 2030 CWG को एक महत्वपूर्ण परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है। एक सफल, समावेशी आयोजन 2036 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के लिए भारत के पक्ष को काफी मजबूत करेगा, जो कि अंतिम लक्ष्य है। यह भारत को वैश्विक मंच पर एक परिपक्व और सक्षम मेजबान के रूप में प्रस्तुत करने के बारे में है।
बारीक रेखा: राजनीति बनाम व्यावहारिकता
लेकिन ईमानदारी से, यह एक जटिल तस्वीर है। यह फैसला पाकिस्तान के साथ बढ़े हुए राजनीतिक तनाव के समय आया है, खासकर इस साल की शुरुआत में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद। जैसा कि आप कल्पना कर सकते हैं, इस खबर ने कुछ भावनात्मक प्रतिक्रियाओं और घरेलू आलोचना को जन्म दिया है। यह कई लोगों के लिए पचाना मुश्किल है।
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तो, यह जोखिम क्यों उठाया गया? बात यह है। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) कोई मज़ाक नहीं करती। इसी महीने, IOC ने इंडोनेशिया पर एक जिम्नास्टिक चैंपियनशिप से इज़राइली एथलीटों को प्रतिबंधित करने के लिए प्रतिबंध लगाया था। उस घटना ने भारत के लिए एक कड़ी चेतावनी के रूप में काम किया। पाकिस्तानी एथलीटों को रोकने के किसी भी कदम के परिणामस्वरूप समान, या इससे भी कठोर, दंड हो सकता था, जो 2036 ओलंपिक की बोली को शुरू होने से पहले ही प्रभावी रूप से समाप्त कर देता।
विशेषज्ञ विश्लेषण
खेल मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि यह ओलंपिक चार्टर के पालन के बारे में है। सरकार का रुख स्पष्ट है: बहुपक्षीय खेल आयोजन द्विपक्षीय राजनीतिक विवादों से अलग हैं। हालांकि निकट भविष्य में कोई भारत-पाकिस्तान क्रिकेट श्रृंखला नहीं होगी, लेकिन CWG या ओलंपिक जैसे आयोजनों में सभी योग्य देशों के एथलीटों का स्वागत किया जाना चाहिए। यह एक मेजबान होने का एक गैर-परक्राम्य हिस्सा है।
सोशल मीडिया पर हलचल
इस घोषणा ने निश्चित रूप से ऑनलाइन हलचल मचा दी है। जहां कई खेल विश्लेषक इसे ओलंपिक बोली को सुरक्षित करने के लिए एक स्मार्ट, व्यावहारिक कदम कह रहे हैं, वहीं इस फैसले को आलोचना का भी सामना करना पड़ा है। पहलगाम हमले की यादें अभी भी ताज़ा हैं, और कई लोग उस देश के एथलीटों का स्वागत करने के समय और आवश्यकता पर सवाल उठा रहे हैं जिसे कुछ रिपोर्टों द्वारा ‘राजनीतिक दुश्मन’ माना जाता है।
अहमदाबाद के लिए आगे क्या?
अब सभी की निगाहें 26 नवंबर, 2025 पर हैं। उस दिन ग्लासगो में कॉमनवेल्थ स्पोर्ट जनरल असेंबली अंतिम घोषणा करेगी, हालांकि कार्यकारी बोर्ड ने पहले ही अहमदाबाद को मेजबान के रूप में सिफारिश कर दी है। पाकिस्तान को शामिल करने के बारे में भारत सरकार की यह पुष्टि एक बड़ी संभावित बाधा को दूर करती है।
2030 और फिर उम्मीद है कि 2036 तक का रास्ता लंबा है। यह निर्णय दिखाता है कि भारत अपनी खेल महत्वाकांक्षाओं को प्राप्त करने के लिए कड़े फैसले लेने को तैयार है। आप क्या सोचते हैं? क्या यह भारत के ओलंपिक सपने के लिए सही कदम था?



