भारत और पाकिस्तान की सीनियर क्रिकेट टीमों के बीच हाथ न मिलाने की खबरों के कुछ ही हफ्तों बाद, उनके जूनियर हॉकी दस्तों ने सबको एक अलग रास्ता दिखाया है। मंगलवार, 14 अक्टूबर, 2025 को मलेशिया में सुल्तान ऑफ जोहोर कप के एक रोमांचक मुकाबले में, दोनों देशों के युवा खिलाड़ियों ने हाई-फाइव और हाथ मिलाकर सबको याद दिलाया कि खेल का असली मतलब क्या होता है।
मुख्य बातें
- खेल भावना का शानदार प्रदर्शन करते हुए, भारतीय और पाकिस्तानी जूनियर हॉकी खिलाड़ियों ने सुल्तान ऑफ जोहोर कप मैच के बाद हाथ मिलाए।
- यह हाल के एशिया कप 2025 और महिला विश्व कप 2025 से बिल्कुल अलग है, जहाँ दोनों देशों की क्रिकेट टीमों ने हाथ मिलाने से परहेज किया था।
- यह रोमांचक हॉकी मैच 3-3 के नाटकीय ड्रॉ पर समाप्त हुआ, जिसमें दोनों टीमों ने आखिरी सीटी बजने तक कड़ा संघर्ष किया।
- इन घटनाओं की पृष्ठभूमि में अप्रैल 2025 में पहलगाम में हुए एक आतंकी हमले के बाद बढ़ा हुआ राजनीतिक तनाव शामिल है।
हॉकी के मैदान पर एक अलग कहानी
देखिए, हाल ही में खेलों में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव काफी बढ़ गया है। आपने इसे एशिया कप और महिला विश्व कप में देखा। कोई हाथ मिलाना नहीं, बस एक दूसरे को नज़रअंदाज़ करना। लेकिन मंगलवार को जोहोर बारू में, जूनियर हॉकी खिलाड़ियों ने एक नई पटकथा लिखने का फैसला किया। वे लाइन में खड़े हुए, खेल से पहले हाई-फाइव किया और अंतिम सीटी के बाद ठीक से हाथ मिलाया। एक साधारण इशारा, लेकिन यह बहुत कुछ कह गया।
यह एक ताज़गी भरा नज़ारा था, शुद्ध खेल भावना का एक क्षण जिसने सभी राजनीतिक शोर को खत्म कर दिया। यह राजनीति के बारे में नहीं था; यह खेल और प्रतिद्वंद्वी के प्रति सम्मान के बारे में था।
खेल खुद एक абсолют थ्रिलर था
और क्या खेल था! यह सिर्फ एक दोस्ताना हैंडशेक सत्र नहीं था। यह एक कांटे की टक्कर वाला 3-3 का ड्रॉ था जिसने प्रशंसकों को अपनी सीटों से बांधे रखा। पाकिस्तान ने सिर्फ 5वें मिनट में हन्नान शाहिद के गोल से शुरुआती बढ़त बना ली। फिर सुफियान खान ने 39वें मिनट में उनकी बढ़त को 2-0 कर दिया।
लेकिन भारत ने हार नहीं मानी। उन्होंने एक अविश्वसनीय वापसी की। अरिजीत सिंह हुंदल ने 43वें मिनट में एक गोल किया, उसके बाद सौरभ आनंद कुशवाहा ने 47वें मिनट में स्कोर 2-2 से बराबर कर दिया। फिर, मनमीत सिंह ने 53वें मिनट में गोल करके भारत को चौंकाने वाली 3-2 की बढ़त दिला दी। जब लग रहा था कि भारत जीत जाएगा, तभी पाकिस्तान के सुफियान खान ने 55वें मिनट में अपना दूसरा गोल करके खेल को 3-3 से बराबर कर दिया। वाकई एक रोलरकोस्टर मुकाबला।
हाल के क्रिकेट विवादों से कितना अलग
आप यहाँ की पृष्ठभूमि को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते। हॉकी में दिखाई गई खेल भावना क्रिकेट में देखी गई कड़वाहट से बिल्कुल अलग है। सितंबर में T20 एशिया कप के दौरान, टीमों ने हाथ नहीं मिलाया। यही बात ICC महिला विश्व कप में भी हुई। तनाव बहुत ज़्यादा था, खासकर जब भारत ने पहलगाम में आतंकी हमले के बाद ACC के अध्यक्ष मोहसिन नकवी से एशिया कप ट्रॉफी लेने से इनकार कर दिया।
दिलचस्प बात यह है कि खबरों के अनुसार पाकिस्तान हॉकी फेडरेशन (PHF) ने अपने खिलाड़ियों को शांत और संयमित रहने के लिए कहा था, भले ही भारतीय टीम उनसे हाथ न मिलाए। लेकिन अंत में, उस निर्देश की आवश्यकता ही नहीं पड़ी। खेल भावना की जीत हुई।
तो, अब आगे क्या?
इस एक हॉकी मैच ने एक बड़ी बहस छेड़ दी है। प्रशंसक युवा खिलाड़ियों की परिपक्वता की प्रशंसा कर रहे हैं। यह एक सवाल खड़ा करता है, है ना? अगर ये जूनियर हॉकी खिलाड़ी दबाव में इतनी शालीनता दिखा सकते हैं, तो सीनियर क्रिकेट टीमें क्यों नहीं? यह एक ऐसा क्षण है जो उम्मीद है कि कुछ लोगों को सोचने पर मजबूर करेगा। टूर्नामेंट में भारत की अगली चुनौती को करीब से देखा जाएगा, न केवल स्कोर के लिए, बल्कि उस भावना के लिए भी जो वे लेकर आते हैं।
आप क्या सोचते हैं? क्या यह एक अकेला क्षण था, या यह इस बात का संकेत है कि खेल वास्तव में राजनीति से ऊपर उठ सकता है?