भारतीय क्रिकेट में यह कैसा उथल-पुथल भरा पल है. पर्थ में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत की सात विकेट से करारी हार के ठीक एक दिन बाद, पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ने सोशल मीडिया पर जमकर भड़ास निकाली. उन्होंने एक फर्जी पोस्ट की धज्जियां उड़ा दीं जो जंगल की आग की तरह फैल रही थी. उस पोस्ट में, जो गलत तरीके से उनके नाम से फैलाई जा रही थी, हेड कोच गौतम गंभीर और मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर को हटाने की मांग की गई थी.
मुख्य बातें
- नवजोत सिंह सिद्धू ने सार्वजनिक रूप से उस वायरल कोट का खंडन किया जिसमें गौतम गंभीर और अजीत अगरकर को हटाने की मांग की गई थी.
- फर्जी पोस्ट में 2027 विश्व कप के लिए रोहित शर्मा को वनडे कप्तान के रूप में बहाल करने का आग्रह किया गया था.
- सिद्धू का यह खंडन 20 अक्टूबर, 2025 को भारत के ऑस्ट्रेलिया से पहला वनडे हारने के ठीक बाद आया.
- यह विवाद अक्टूबर 2025 की शुरुआत में शुभमन गिल द्वारा रोहित शर्मा की जगह वनडे कप्तान बनाए जाने के बाद हुआ है.
आखिर यह फर्जी खबर थी क्या?
तो, मामला यह है. एक पोस्ट ऑनलाइन वायरल होने लगी जिसमें दावा किया गया कि सिद्धू कुछ बड़े बदलाव चाहते हैं. इसमें कहा गया कि उन्होंने BCCI से गौतम गंभीर और अजीत अगरकर दोनों को उनके शक्तिशाली पदों से हटाने की मांग की. क्यों? फर्जी कोट में रोहित शर्मा को वनडे कप्तान के रूप में वापस लाने की दलील दी गई थी, खासकर 2027 विश्व कप के लिए टीम का नेतृत्व करने के लिए.
लेकिन सच तो यह है, यह सब मनगढ़ंत था. यह सब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज में भारत की खराब शुरुआत के ठीक बाद हुआ, जिसने इस आग में और घी डाल दिया.
सोशल मीडिया पर मचा तूफान
सिद्धू ने कोई लाग-लपेट नहीं की. उन्होंने 20 अक्टूबर, 2025 को सीधे अपने आधिकारिक X हैंडल पर जाकर इस सबको बंद कर दिया. उनका संदेश छोटा, तीखा और सीधा था. उन्होंने लिखा, “कभी नहीं कहा, फर्जी खबरें न फैलाएं, कभी सोचा भी नहीं. शेम ऑन यू.” आप उनकी हताशा को महसूस कर सकते हैं, है ना? यह उस व्यक्ति पर सीधा हमला था जिसने यह अफवाह बनाई और फैलाई.
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यह सब नए वनडे कप्तान शुभमन गिल के नेतृत्व में टीम के पर्थ में हारने के 24 घंटे से भी कम समय में हुआ. रोहित शर्मा और विराट कोहली दोनों उस खेल के लिए वापस आ गए थे लेकिन कोई बड़ा प्रभाव नहीं डाल पाए, जिससे शायद कुछ प्रशंसकों को यह फर्जी खबर और भी विश्वसनीय लगी.
विशेषज्ञ विश्लेषण: बहस का एक बड़ा पैटर्न
देखिए, यह सब अचानक नहीं हो रहा है. टीम मैनेजमेंट हाल ही में जांच के दायरे में रहा है. हाल ही में, पूर्व स्पिनर आर अश्विन ने सार्वजनिक रूप से सवाल उठाया कि कुलदीप यादव को उस पहले वनडे के लिए टीम से बाहर क्यों रखा गया. यह दिखाता है कि पूर्व खिलाड़ी बारीकी से देख रहे हैं और अपने मन की बात कहने से नहीं डरते.
और यह सिर्फ खिलाड़ी ही नहीं हैं. BCCI भी दबाव महसूस कर रहा है. 15 अक्टूबर को, उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला को तेज गेंदबाज हर्षित राणा के चयन पर आलोचना को लेकर सार्वजनिक रूप से गौतम गंभीर का समर्थन करना पड़ा. उन्होंने पूर्व खिलाड़ियों से अपने शब्दों के प्रति अधिक जिम्मेदार होने का आग्रह किया. तो, टीम के फैसलों को लेकर तनाव कुछ समय से बन रहा है.
अब आगे क्या होगा?
मैदान के बाहर इतने ड्रामे के साथ, आपको आश्चर्य होता होगा कि इसका खिलाड़ियों पर क्या असर पड़ता है. टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक कठिन सीरीज में वापसी करने की कोशिश कर रही है, और अब उन्हें इस तरह की फालतू बातों से भी निपटना पड़ रहा है. यह नए कप्तान शुभमन गिल और नेतृत्व समूह पर बहुत दबाव डालता है.
क्या यह बाहरी शोर शांत हो जाएगा, या यह भारतीय क्रिकेट के भविष्य के बारे में एक बड़ी बहस की शुरुआत है? आप क्या सोचते हैं? हमें बताएं.






