ड्रामा. बिलकुल प्योर ड्रामा. 16 अक्टूबर, 2025 को एक हैरान कर देने वाले घटनाक्रम में, तेलुगु टाइटन्स का पांच मैचों का विजय रथ बंगाल वॉरियर्स के खिलाफ आकर रुक गया. लेकिन हर कोई सिर्फ टाई-ब्रेकर में मिली हार की बात नहीं कर रहा है; बल्कि असली कहानी तो मैच के बाद हुए विस्फोटक हंगामे की है, जिसमें एक कोच ने अपनी ही टीम के खिलाड़ी पर सीधा निशाना साधा है.
Key Takeaways
- बंगाल वॉरियर्स ने एक रोमांचक टाई-ब्रेकर में तेलुगु टाइटन्स को हराकर PKL 12 में अपनी पांचवीं जीत हासिल की.
- इस हार ने टाइटन्स के प्रभावशाली पांच मैचों के जीत के सिलसिले को तोड़ दिया.
- कोच कृष्ण हुड्डा ने टाई-ब्रेकर में एक असफल रेड के लिए रेडर आशीष नरवाल को सार्वजनिक रूप से हार का दोषी ठहराया.
- हुड्डा ने एक कड़ा बयान देते हुए घोषणा की कि वह आशीष नरवाल को टीम में और मौके नहीं देंगे.
- बंगाल वॉरियर्स के देवांक दलाल स्टार रहे, जिन्होंने 18 अंकों के साथ अपना 14वां सुपर 10 बनाया.
आखिर हुआ क्या था?
देखिए, टाई-ब्रेकर हमेशा तनावपूर्ण होते हैं. लेकिन यह कुछ और ही था. जब सब कुछ दांव पर लगा था, तेलुगु टाइटन्स के रेडर आशीष नरवाल एक महत्वपूर्ण रेड के लिए गए और खाली हाथ लौट आए. बंगाल वॉरियर्स को बस इसी एक असफल प्रयास की जरूरत थी. उन्होंने मौके का फायदा उठाया, मैच अपने नाम किया और जीत के साथ चले गए, जिससे टाइटन्स हैरान रह गए.
यह सिर्फ कोई आम हार नहीं थी. इसने उस जीत के सिलसिले को तोड़ा जिसने टाइटन्स को एक शानदार स्थिति में पहुंचा दिया था. आप एक पल में ही पूरे माहौल को बदलते हुए महसूस कर सकते थे. वॉरियर्स के लिए यह एक बड़ी जीत थी, इस सीज़न की उनकी पांचवीं, जिसका श्रेय देवांक दलाल के शानदार प्रदर्शन को जाता है, जिन्होंने अपने करियर का 14वां सुपर 10 बनाते हुए 18 अंक बटोरे. मंजीत ने भी डिफेंस में एक सॉलिड हाई-फाइव के साथ योगदान दिया.
एक कोच का गुस्सा
लेकिन ईमानदारी से कहें तो, असली कहानी आखिरी सीटी बजने के बाद शुरू हुई. तेलुगु टाइटन्स के हेड कोच, कृष्ण हुड्डा, साफ तौर पर आगबबूला थे. मैच के बाद की प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कुछ भी नहीं छिपाया. उन्होंने हार का ठीकरा सीधे आशीष नरवाल के सिर फोड़ा. जब नरवाल के भविष्य के बारे में पूछा गया, तो हुड्डा के बयान ने पूरी लीग में सनसनी फैला दी.
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“मैं उसे और मौके नहीं दूँगा,” हुड्डा ने कहा, यह बिल्कुल स्पष्ट करते हुए कि नरवाल की गलती, उनकी नज़र में, अक्षम्य थी. आप अक्सर किसी कोच को इस तरह सार्वजनिक रूप से किसी खिलाड़ी की आलोचना करते हुए नहीं देखते. यह एक साहसिक, और विवादास्पद, कदम है जिसने प्रशंसकों और विशेषज्ञों के बीच राय को विभाजित कर दिया है.
सोशल मीडिया पर तूफान
जैसा कि आप कल्पना कर सकते हैं, इंटरनेट पर मानो विस्फोट हो गया. रेडिट थ्रेड्स और सोशल मीडिया पर आग लग गई. प्रशंसक हर बात पर बहस कर रहे हैं. क्या हुड्डा का अपनी आलोचना को इतना सार्वजनिक करना सही था? या यह एक अनुचित कदम था जो किसी खिलाड़ी का आत्मविश्वास तोड़ सकता है? यहाँ कोई बीच का रास्ता नहीं है; लोग या तो कोच की क्रूर ईमानदारी का समर्थन कर रहे हैं या खिलाड़ी को सार्वजनिक अपमान से बचा रहे हैं.
टाइटन्स और नरवाल के लिए आगे क्या?
तो, अब वे यहाँ से कहाँ जाते हैं? तेलुगु टाइटन्स को जल्दी से खुद को संभालना होगा. इस तरह की हार, टीम के आंतरिक ड्रामे के साथ मिलकर, एक सीज़न को पटरी से उतार सकती है. उन्हें टीम का मनोबल ठीक करना होगा और नरवाल के बिना अपनी रेडिंग रणनीति का पता लगाना होगा, यह मानते हुए कि हुड्डा अपनी बात पर कायम रहते हैं.
और आशीष नरवाल का क्या? उनका भविष्य अचानक हवा में लटक गया है. क्या कोई दूसरी टीम उन पर दांव लगाएगी? या उन्हें टाइटन्स के अच्छे दिनों में वापस आने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा? एक बात तो पक्की है: तेलुगु टाइटन्स का अगला मैच अब ज़रूर देखने लायक होगा. आपको क्या लगता है क्या होगा? हमें बताएं.



