एक दिन में कितना कुछ बदल सकता है, है ना? बेंगलुरु बुल्स के खिलाफ लगातार दो बुरी हार के बाद, हर कोई बंगाल वॉरियर्स को कमजोर समझने लगा था। एक बार फिर से। लेकिन नए हेड कोच नवीन कुमार के आने के बाद कुछ तो बदला है, और उन्होंने 15 अक्टूबर, 2025 को तेलुगु टाइटंस की पांच मैचों की जीत का सिलसिला तोड़कर इसे साबित कर दिया। वो भी एक कांटे के टाई-ब्रेकर मुकाबले में।
Key Takeaways
- नया नेतृत्व: टीम के लगातार चार सीजन तक प्लेऑफ में नहीं पहुंचने के बाद, PKL 2025 के लिए प्रशांत सुर्वे की जगह नवीन कुमार को हेड कोच बनाया गया है।
- नाटकीय वापसी: 13 और 14 अक्टूबर को बेंगलुरु बुल्स से हारने के बाद, वॉरियर्स ने 15 अक्टूबर को टाई-ब्रेकर में तेलुगु टाइटंस को हराकर सबको चौंका दिया।
- स्टार खिलाड़ी: कप्तान देवांक दलाल रेडिंग में कमाल कर रहे हैं, जबकि 20 वर्षीय डिफेंडर आशीष मलिक ने छह मैचों में चार हाई 5 लगाकर सनसनी मचा दी है।
- टीम वर्क: कोच कुमार टीम वर्क पर जोर दे रहे हैं, और मनजीत जैसे ऑल-राउंडर महत्वपूर्ण जीत में छह टैकल पॉइंट हासिल करके टीम को मजबूती दे रहे हैं।
एक मुश्किल दौर
देखिए, सच तो यह है। वॉरियर्स के लिए PKL 2025 अभियान की शुरुआत, जो 31 अगस्त को हरियाणा स्टीलर्स के खिलाफ शुरू हुई थी, आसान नहीं रही है। टीम में काफी बदलाव किए गए, नए रेडर्स लाए गए और नितेश कुमार जैसे स्टार डिफेंडर्स को रिटेन किया गया। लेकिन दबाव बहुत था। 13 और 14 अक्टूबर को बेंगलुरु बुल्स से लगातार दो हार ने इस दबाव को और बढ़ा दिया। ऐसा लगा जैसे वही पुरानी कहानी दोहराई जा रही है। लगातार चार सीजन प्लेऑफ से बाहर रहना किसी भी टीम का मनोबल तोड़ सकता है। क्या नवीन कुमार की नियुक्ति भी एक ऐसा बदलाव था जिससे कुछ नहीं बदलने वाला था?
जिस मैच ने कहानी बदल दी
और फिर तेलुगु टाइटंस के खिलाफ मैच आया। यह कोई साधारण टीम नहीं थी, वे लगातार पांच मैच जीत चुके थे। लेकिन वॉरियर्स लड़ने के इरादे से उतरे थे। यह एक रोमांचक मुकाबला था जो टाई-ब्रेकर तक गया। डिफेंस, जो एक चिंता का विषय था, अचानक से चल पड़ा। ऑल-राउंडर मनजीत ने तो कमाल ही कर दिया, उन्होंने अकेले छह टैकल पॉइंट हासिल किए। उन्होंने डिफेंस को पूरी तरह से मजबूत किया और रेडर्स को वह आत्मविश्वास दिया जिसकी उन्हें जरूरत थी।
Expert Analysis: कुमार की रणनीति काम कर गई
कोच नवीन कुमार ने मैट पर एक खिलाड़ी के नेतृत्व की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा, “देवांक ने जिम्मेदारी ली और टीम का नेतृत्व किया।” आप अपने कप्तान से यही चाहते हैं। देवांक दलाल लगातार सुपर 10 लगा रहे हैं, लेकिन कोच ने यह भी माना था कि टीम उन्हें सपोर्ट नहीं कर पा रही थी। इस मैच में, आखिरकार टीम ने उनका साथ दिया। यह कुमार की कोचिंग फिलॉसफी का साफ संकेत है, जो टीम वर्क और हर खिलाड़ी पर व्यक्तिगत ध्यान देने पर केंद्रित है, और यह अब काम करने लगी है। वह सिर्फ स्टार खिलाड़ियों पर ही नहीं, बल्कि पूरी टीम को एक साथ आगे बढ़ाना चाहते हैं।
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युवा जोश का कमाल
आपको नई प्रतिभा के बारे में बात करनी ही होगी। आशीष मलिक, एक डिफेंडर जो सिर्फ 20 साल के हैं, बिल्कुल असाधारण प्रदर्शन कर रहे हैं। सिर्फ छह मैचों में, उन्होंने पहले ही चार हाई 5 हासिल कर लिए हैं। यह कोई आम बात नहीं है। 55% की टैकल सफलता दर के साथ, वह तेजी से लीग के सबसे खतरनाक डिफेंडरों में से एक बन रहे हैं। उन्हीं जैसे खिलाड़ी, देवांक के अनुभवी नेतृत्व और नवीन कुमार की रणनीतिक सोच के साथ मिलकर टीम की कुंजी हो सकते हैं। हार के बाद भी कोच कुमार का सकारात्मक रवैया इन युवा खिलाड़ियों को फलने-फूलने में मदद कर रहा है। उनका लक्ष्य टीम को “इस सीजन की बाजी पलटने” में मदद करना है, और यह जीत शायद वही चिंगारी हो जिसकी उन्हें जरूरत थी। तो, आपको क्या लगता है? क्या यह बंगाल वॉरियर्स की असली वापसी की शुरुआत है? क्या वे आखिरकार प्लेऑफ के सूखे को खत्म कर पाएंगे?



