तमिल थलाइवाज का सीजन अब आधिकारिक तौर पर लाइफ सपोर्ट पर है। उन्होंने 15 अक्टूबर, 2025 को नई दिल्ली के त्यागराज इंडोर स्टेडियम में गुजरात जायंट्स के खिलाफ अपना लगातार तीसरा मैच गंवा दिया, 35-42 की इस चुभने वाली हार के बाद अब उंगलियां टीम के अंदर ही उठ रही हैं।
Key Takeaways
- अंतिम स्कोर: गुजरात जायंट्स ने तमिल थलाइवाज को 42-35 से हराया।
- हार का कारण: सहायक कोच सुरेश कुमार ने सपोर्ट रेडर्स की विफलता को जिम्मेदार ठहराया।
- अकेली कोशिश: अर्जुन देशवाल का सुपर 10 (12 अंक) जीत दिलाने के लिए काफी नहीं था।
- प्लेऑफ पर असर: इस हार ने थलाइवाज की प्लेऑफ में पहुंचने की उम्मीदों को गहरा झटका दिया है, जिससे वे 9वें स्थान पर आ गए हैं।
अकेले योद्धा की कोशिश काफी नहीं थी
देखिए, अर्जुन देशवाल ने वो सब कुछ किया जो वो कर सकते थे। कप्तान ने टीम को अपने कंधों पर उठाया, 12 रेड पॉइंट्स के साथ एक और शानदार सुपर 10 हासिल किया। लेकिन कबड्डी एक अकेले का खेल तो नहीं है, है ना? उनकी सारी मेहनत पर पानी फिर गया। सहायक कोच सुरेश कुमार ने भी बिना लाग-लपेट के साफ कहा, “सपोर्ट रेडर्स आज भी फेल हो गए।” हालांकि मोईन शफाघी ने सात पॉइंट्स का योगदान दिया, लेकिन यह एक मजबूत जायंट्स टीम को चुनौती देने के लिए काफी नहीं था।
जायंट्स ने मौके का फायदा कैसे उठाया
और जहां थलाइवाज संघर्ष कर रहे थे, वहीं गुजरात जायंट्स पूरी लय में थी। उनके लिए शो के स्टार हिमांशु सिंह थे, जिन्होंने थलाइवाज के डिफेंस को खूब छकाया और 13 रेड पॉइंट्स के साथ एक महत्वपूर्ण सुपर 10 हासिल किया। उनका साथ दे रही थी ईरान की मजबूत दीवार, मोहम्मदरेजा शादलोई, जिन्होंने डिफेंस को संभाला और चार बड़े टैकल पॉइंट्स बटोरे। यह एक पूरी टीम का प्रदर्शन था जिसने उन्हें जीत दिलाई।
प्लेऑफ की तस्वीर अब उलझ गई है
तो, इस सबका क्या मतलब है? थलाइवाज के लिए यह बहुत ही मुश्किल स्थिति है। इस हार ने उन्हें PKL 12 की अंक तालिका में नौवें स्थान पर धकेल दिया है और अब सिर्फ दो मैच बचे हैं। उनकी प्लेऑफ की उम्मीदें अब एक धागे से लटकी हैं, उन्हें न केवल बड़ी जीत चाहिए बल्कि दूसरे मैचों के नतीजों का भी इंतजार करना होगा। गुजरात जायंट्स के लिए कहानी बिल्कुल अलग है। यह जीत उन्हें सीधे सातवें स्थान पर ले आई है, जो एक प्रतिष्ठित प्लेऑफ स्पॉट है। अब उनकी किस्मत उनके अपने हाथ में है।
आगे की राह मुश्किल दिख रही है
दबाव बहुत ज्यादा है। थलाइवाज को “जीत की सख्त जरूरत है”, जैसा कि देशवाल ने खुद यूपी योद्धा के खिलाफ अपनी पिछली करीबी हार के बाद कहा था। क्या वे अपने कप्तान के लिए जरूरी सपोर्ट ढूंढ पाएंगे और अपने आखिरी मैचों में एक अविश्वसनीय वापसी करेंगे? या PKL 2025 में उनके लिए यह सफर का अंत है? हमें बताएं कि आपको क्या लगता है, उन्हें क्या बदलना चाहिए।